Mantra to Protect Family and Yantra to Get Sound Sleep

In this post, I have written about an effective Mantra to protect the entire family from dangers like diseases, enemies, accidents, and natural disasters and epidemics. I have also described a simple numerical Yantra to get sound sleep without fear and restlessness during illness.

The procedure of practicing both these standalone paranormal remedies has been described below.

Mantra to Protect the Entire Family

This Sare Parivar Ke Atma Raksha Karne Ka Mantra originates from the Jain Tantra and the practitioner has to chant it 108 times in the morning and evenings.

यंत्र
ॐ अरीहे सर्वं रक्ष हँ फट स्वाहा ||
Mantra
Om Arihe Sarvam Raksh Ham Fat Swaha ||

The Mantra will also protect a family member who is residing in another city or country.

The Jain Tantra has not prescribed and Shubh Muhurat, Disha Aasan, Mala, or any other kind of ritual or worship for chanting this Mantra.

The Hindi language video of this Mantra can be seen on our YouTube Channel – Pure Parivar Ko Surakshit Karne Ka Mantra

Yantra to get sound sleep without fear and restlessness during illness

1] This is a standalone numerical Yantra and it can be prepared on any day by drawing the Yantra shown in the image on a white piece of paper using black ink.

Yantra to Get Sound Sleep

2] Then, it should be kept in the pocket of the sick person or under his pillow. The Yantra can also be laminated to prevent it from being damaged quickly. In case, the Yantra is damaged, it can be disposed-off and replaced by another similar Yantra.

3] The Healing Yantra can also be used to get sound sleep without fear and restlessness by anyone, even if that person is not sick.

4] As this is a standalone numerical charm, rules like Disha, Aasan, Puja-Vidhi, etc are not applicable from making and using this Yantra.

The Hindi language video of this Yantra can be seen on our YouTube Channel- Beemari Me Bina Ghabarat Ki Neend Aane Ka Yantra

Comments

  1. Hlw Sir , i want To ask that While doing purushcharan ,Do i need to chant complete mantra of one day at one time Or Can i Split them In 4 times a day . Please Reply sir .i want to know . please Sir ,I need this information .

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    1. पुरश्चरण में जप से पहले आप तय कर लेते हैं कि आपको निर्धारित संख्या के मन्त्र कितने दिन में पूरे करने हैं तदनुसार आप संकल्प लेते हैं लेकिन दिन में कितनी बार जप करूंगा यह संकल्प में शामिल नहीं होता । मन्त्र जप में एकाग्रता के साथ यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि मन्त्र का उच्चारण सही हो और शरीर में शिथिलता न आये थकान महसूस न हो ।मेरे अनुसार सुबह, मध्यान्ह ,सांयकाल और रात्रि इनमे सुविधानुसार जप संख्या को बाँट सकते हैं ।जैन तंत्र में इस प्रकार की सुविधा है ।

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  2. इन लाकडाउन के दिनों में हनुमान चालीसा के अनुष्ठान को कर सकते हैं ---
    हनुमान चालीसा अनुष्ठान --कन्या या लक्ष्मी प्राप्ति के लिए यह अनुष्ठान न करें .इनके लिए अनेकानेक अन्य मन्त्र व अनुष्ठान हैं दिन --मंगलवार के दिन यह अनुष्ठान किया जा सकता है .हिन्दू पंचांग (कैलेण्डर)में देख लें कि संवत्सर,हिंदी महीना ,पक्ष (शुक्ल या कृष्ण )और तिथि कौन सी है .इसकी आवश्यकता संकल्प में रहेगी .समय---अपनी सुविधानुसार समय का चयन करें ,जिससे कि आप ६-७ घंटे निर्विघ्न अनुष्ठान कर सकें .पूजास्थल एकांत स्थान में हो तो अच्छा ,जहां कोलाहल न हो .परिवार के सदस्यों को समझा दें कि उस समय आपसे न बात करें ,न किसी प्रकार की अशांति उत्पन्न करें ,न किसी मिलने आये हुए व्यक्ति से आपको मिलवाएं ,भले ही जरूरी काम हो .आसन--कुश का हो .कम्बल का आसन भी ठीक रहता है ,उसमे लाल वस्त्र बिछा दें .वस्त्र --लाल .    माला --रुद्राक्ष की . माला से जपने में असुविधा है ,तो अपने सामने दो पात्र रखें .एक में १०८ मनके/दाने रखें .पाठ पूरा होने पर मनका/दाना दूसरे पात्र में डाल दें ..सामग्री--राम पंचायतन का चित्र ,जिसमे राम सीता लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न के साथ हनुमानजी भी हों .हनुमानजी की पृथक से मूर्ति या चित्र.पूजा के लिए गंध,पुष्प,धुप,मिटटी का बड़ा सा दिया ,नैवेद्य .दिया इतना बड़ा हो जो अनुष्ठान के समय तक जलता रहे .इसमें घी प्रयुक्त होगा .नैवेद्य में गुड़ चना या गुड़ से निर्मित मिष्ठान्न /फल ,जलपात्र या कटोरी में जल ,एक चम्मच ,एक खाली कटोरी ,हवनपात्र और हवन सामग्री (इसके पैकेट मिल जाते हैं )पूजास्थल में राम पंचायतन चित्र दीवाल से टिका दें या टांग दें .हनुमानजी की मूर्ति या चित्र इस प्रकार रखें कि उनका मुख दक्षिण दिशा की और हो .
    किसी भी सत्कर्म के प्रारम्भ में संकल्प करना आवश्यक है .यदि किसी अन्य से अनुष्ठान करा रहे हों तो पूजास्थल में दोनों अलग अलग आसनो पर बैठ जाएँ .आप स्वयं अनुष्ठान नहीं कर रहे हैं तो दाएं हाथ में जल पुष्प अक्षत लेकर निम्न संकल्प पढ़ें ---हं हनुमते नमः ,हं हनुमते नमः ,हं हनुमते नमः भारतवर्ष के (अमुक )राज्य के (अमुक)नगर /ग्राम में विक्रम सम्वत २०७६ के (अमुक मास) में शुक्ल /कृष्ण पक्ष की (अमुक) तिथि के (अमुक)वार को  मैं --(गोत्र का नाम)गोत्रीय --(अपना नाम लें )--आत्मज(पिता का नाम लें )--हनुमान चालीसा के १०८ पाठों के अनुष्ठान को स्वयं करने में असमर्थ होने सेअपनी मनोकामना (कामना व्यक्त करें)की सिद्धि के लिए  इस अनुष्ठान को श्री ---आत्मज श्री ---के द्वारा संपन्न कराने का संकल्प लेता हूँ . (जल भूमि में छोड़ दें )अब अनुष्ठान करने वाला यजमान की और से दाएं हाथ में जल पुष्प अक्षत लेकर संकल्प  ले --हं हनुमते नमः ,हं हनुमते नमः ,हं हनुमते नमः भारतवर्ष के (अमुक )राज्य के (अमुक)नगर /ग्राम में विक्रम सम्वत २०७६ के (अमुक मास) में शुक्ल /कृष्ण पक्ष की (अमुक) तिथि के (अमुक)वार को  मैं --(गोत्र का नाम)गोत्रीय --(अपना नाम लें )--आत्मज(पिता का नाम लें )--हनुमान चालीसा के १०८ पाठों के अनुष्ठान श्री --आत्मज श्री ----के लिए करने का संकल्प लेता हूँ . उनकी मनोकामना की पूर्ति के लिए इस अनुष्ठान का फल उन्हें प्राप्त हो ,मुझे नहीं .(स्वयं अनुष्ठान कर रहे हों तो पहले वाले संकल्प में यह वाक्य " स्वयं करने में असमर्थ होने सेअपनी मनोकामना (कामना व्यक्त करें)की सिद्धि के लिए  इस अनुष्ठान को श्री ---आत्मज श्री ---के द्वारा संपन्न कराने"न बोलकर "अपनी मनोकामना (कामना व्यक्त करें)की सिद्धि के लिए कर रहा हूँ "कहें .) अब विधिपूर्वक पूजा प्रारम्भ करें .संध्या वंदन करने वाले पाठकों को मालूम है कि "ॐ केशवाय नमः ","ॐ नारायणाय नमः ","ॐ माधवाय नमः "इन मन्त्रों से ३ बार आचमन कर "ॐ हृषीकेशाय नमः "बोलकर हाथ धोया जाता है .इसी तर्ज पर इस तरह सर्वप्रथम आचमन करें--(बाएं हाथ में चम्मच लेकर कटोरी से जल लें और दायीं हथेली में डालें और तीन बार आचमन करें याने जल को पी लें )"ॐ बं बजरंगाय नमः "कहकर पहला आचमन करें ( हथेली के जल को पी लें ).पुनः दायीं हथेली में जल लें "ॐ मं महावीराय नमः "कहकर दूसरा आचमन करें .पुनः जल लें और "ॐ हं हनुमतये नमः"कहकर तीसरी बार आचमन करें . आचमन के बाद अंगूठे के मूल भाग से होठों को दो बार पोंछ कर "ॐ रां रामाय नमः "बोलकर हाथ धो लें .अब निम्न श्लोक पढ़कर मार्जन करें अर्थात शरीर एवं पूजा सामग्री पर जल छिड़कें --ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतो S पि वा ,यःस्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्या भ्यन्तरः शुचिः ..आसन पवित्रीकरण के लिए निम्न श्लोक पढ़कर आसन पर जल छिड़कें ---ॐ पृथ्वि ! त्वया धृता लोका ,देवि !त्वम् विष्णुना धृता ,त्वं च  धारय मां  देवि ! पवित्रं  कुरु  चासनं ..अब प्राणायाम करें . contd---

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  3. .अब प्राणायाम करें .प्राणायाम के तीन भेद हैं --पूरक,कुम्भक और रेचक .दाएं अंगूठे से नाक के दाहिने छिद्र को दबाकर बाएं छिद्र से श्वास को धीरे धीरे खींचने को पूरक प्राणायाम कहते हैं .जब सांस खींचना रुक जाय ,तब अनामिका और कनिष्ठिका अंगुली से नाक के बाएं छिद्र को भी दबा दें ,यह कुम्भक प्राणायाम हुआ .अंगूठे को हटाकर दाहिने छिद्र से श्वास को धीरे धीरे छोड़ने को रेचक प्राणायाम कहते हैं .पांच बार ये प्राणायाम करें .हर बार पूरक रेचक कुम्भक करते समय मन ही मन "ॐ रां रामाय नमः "बोलें .अब आप पूजापाठ प्रारम्भ करें .सर्वप्रथम गुरु वन्दना कर उनसे अनुमति प्राप्त करें .सच्चे समर्थ गुरु की खोज में साधक लगा रहे तो बहुत सा समय व्यर्थ ही नष्ट हो जाता है .अतः शास्त्रों में कुछ विकल्प भी रखे गए हैं .आप मन्त्रों के स्रष्टा ,शिवजी को गुरु मानकर "ॐ नमः शिवाय "जपते हुए उनसे पाठ प्रारम्भ करने की अनुमति लें ,पद्मासन या स्वस्तिकासन में बैठें .विघ्नविनाशक गणेशजी को प्रणाम करें .हनुमानजी और राम पंचायतन के सभी देवों की पूजा करें .नारद पुराण के अनुसार श्रीराम सम्बन्धी समस्त मन्त्रों में "रां रामाय नमः "यह षडक्षर मंत्र अत्यंत श्रेष्ठ  है .इस मंत्र से श्रीराम की ,"श्री सीतायै स्वाहा "(षडक्षर जानकी मन्त्र )से सीताजी की ,"लं लक्ष्मणाय नमः "से लक्ष्मणजी की ,"भं भरताय नमः "से भरतजी की "शं शत्रुघ्नाय नमः "से शत्रुघ्नजी की पंचोपचार (गंध,पुष्प,धूप,दीप,नैवेद्य )पूजा करें .हनुमानजी का निम्न  श्लोक पढ़कर आवाहन करें --अतुलित बलधामं हेम शैलाभ देहं,दनुज वन कृशानुं ज्ञानिनां अग्र गण्यंसकल गुणनिधानं वानराणामधीशं ,रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि .हनुमानजी की पंचोपचार से पूजन करें .हनुमान चालीसा का १०८ पाठ करें .पाठ समाप्ति के बाद खड़े होकर आरती करें --ॐ जय जगदीश हरे -----(आरती में परिवार के सभी सदस्य शामिल हो सकते हैं-परस्पर दूरी को ध्यान में रखते हुए )ॐ राम रामाय नमः स्वाहा /हं हनुमते नमः स्वाहा से १०८ आहुति देकर हवन कर लें .क्षमा याचना करें -हे प्रभु,मंत्रहीन क्रियाहीन मेरे द्वारा किये गए इस अनुष्ठान में हुई त्रुटियों के लिए मुझे क्षमा प्रदान करें .

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