Hanuman Yantra for Physical Power and Strength
In this post, I have written about a Hanuman Yantra Sadhana for the gain of physical strength, stamina and power. This Hanuman Yantra is very suitable for people like wrestlers, prize fighters, body builders, soldiers and policemen and others whose profession are to a large extent dependent upon physical fitness.
Apart from the benefits for physical strength and vitality mentioned above, this Hanuman Yantra will also protect the practitioner from evil energies, like ghosts and spirits, black magic, voodoo and hex and accidents and dangers from enemies.
The Hanuman Yantra Sadhana can be practiced by following the procedure given below.
1] The practitioner has to start the Hanuman Sadhana on a Saturday after worshiping Hanuman. He should prepare the Hanuman Yantra given below on a white piece of paper with red or black ink and light Dhoop and Diya and offer Lal Sindoor, Sabut Kale Urad, 11Rui Flowers and a Coconut to the Yantra.
The Coconut should be broken and then offered to the Yantra and can later on be used for cooking or distributed as Prasad.
2] Then, the practitioner should chant the Hanuman Mantra given below 11 times.
3] The same procedure has to be practiced for 11 Saturdays and the Hanuman Yantra, which is prepared on the Eleventh Saturday should be inserted in a cloth Taveez or metal locket and worn around the neck or the waist.
4] The other 10 Hanuman Yantras can be kept in the Puja Ghar or a clean place in the house. The rest of the items, which were offered to the Yantra can be immersed in flowing water.
Notes- The Hanuman Mantra used for practicing this Yantra Sadhana is a very strong and effective Mantra and is used in many others Sadhanas and Prayogas dedicated to Lord Hanuman.
A large and diverse collection of all kinds of Mantras, Yantra, Remedies and Prayers of Lord Hanuman can be seen in the section on Hanuman Mantras and Tantra
The Hindi language video of this Hanuman Yantra Mantra Experiment for gaining extreme physical strength and powers of endurance can be seen on our YouTube Channel - https://www.youtube.com/watch?v=ctmOnUIbtyE
Apart from the benefits for physical strength and vitality mentioned above, this Hanuman Yantra will also protect the practitioner from evil energies, like ghosts and spirits, black magic, voodoo and hex and accidents and dangers from enemies.
The Hanuman Yantra Sadhana can be practiced by following the procedure given below.
1] The practitioner has to start the Hanuman Sadhana on a Saturday after worshiping Hanuman. He should prepare the Hanuman Yantra given below on a white piece of paper with red or black ink and light Dhoop and Diya and offer Lal Sindoor, Sabut Kale Urad, 11Rui Flowers and a Coconut to the Yantra.
The Coconut should be broken and then offered to the Yantra and can later on be used for cooking or distributed as Prasad.
2] Then, the practitioner should chant the Hanuman Mantra given below 11 times.
मंत्र
ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ||
Mantra
Om Namo Bhagavate Anjaneyaya Mahabalaya Swaha ||
4] The other 10 Hanuman Yantras can be kept in the Puja Ghar or a clean place in the house. The rest of the items, which were offered to the Yantra can be immersed in flowing water.
Notes- The Hanuman Mantra used for practicing this Yantra Sadhana is a very strong and effective Mantra and is used in many others Sadhanas and Prayogas dedicated to Lord Hanuman.
A large and diverse collection of all kinds of Mantras, Yantra, Remedies and Prayers of Lord Hanuman can be seen in the section on Hanuman Mantras and Tantra
The Hindi language video of this Hanuman Yantra Mantra Experiment for gaining extreme physical strength and powers of endurance can be seen on our YouTube Channel - https://www.youtube.com/watch?v=ctmOnUIbtyE
Please also provide us a Hanuman Mantra for great physical strength and Courage for 21 days?
ReplyDeleteहनुमान यंत्र से लाभ प्राप्त करते हुए हनुमान भक्त किसी मंगलवार को
ReplyDeleteएक दिवसीय हनुमान चालीसा का अनुष्ठान करें .
हनुमान चालीसा अनुष्ठान --
कन्या या लक्ष्मी प्राप्ति के लिए यह अनुष्ठान न करें .इनके लिए अनेकानेक अन्य मन्त्र व अनुष्ठान हैं
दिन --मंगलवार के दिन यह अनुष्ठान किया जा सकता है .हिन्दू पंचांग (कैलेण्डर)
में देख लें कि संवत्सर,हिंदी महीना ,पक्ष (शुक्ल या कृष्ण )और तिथि कौन सी है .इसकी आवश्यकता संकल्प में रहेगी .
समय---अपनी सुविधानुसार समय का चयन करें ,जिससे कि आप ६-७ घंटे निर्विघ्न अनुष्ठान कर सकें .पूजास्थल एकांत स्थान में हो तो अच्छा ,जहां कोलाहल न हो .परिवार के सदस्यों को समझा दें कि उस समय आपसे न बात करें ,न किसी प्रकार की अशांति उत्पन्न करें ,न किसी मिलने आये हुए व्यक्ति से आपको मिलवाएं ,भले ही जरूरी काम हो .
आसन--कुश का हो .कम्बल का आसन भी ठीक रहता है ,उसमे लाल वस्त्र बिछा दें .
वस्त्र --लाल . माला --रुद्राक्ष की . माला से जपने में असुविधा है ,तो अपने सामने दो पात्र रखें .एक में १०८ मनके/दाने
रखें .पाठ पूरा होने पर मनका/दाना दूसरे पात्र में डाल दें ..
सामग्री--राम पंचायतन का चित्र ,जिसमे राम सीता लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न के साथ
हनुमानजी भी हों .हनुमानजी की पृथक से मूर्ति या चित्र.पूजा के लिए गंध,पुष्प,धुप,मिटटी का बड़ा सा दिया ,नैवेद्य .दिया इतना बड़ा हो जो अनुष्ठान के समय तक जलता रहे .इसमें घी प्रयुक्त होगा .नैवेद्य में गुड़ चना या गुड़ से निर्मित मिष्ठान्न /फल ,जलपात्र या कटोरी में जल ,एक चम्मच ,एक खाली कटोरी ,हवनपात्र और हवन सामग्री (इसके पैकेट मिल जाते हैं )
पूजास्थल में राम पंचायतन चित्र दीवाल से टिका दें या टांग दें .हनुमानजी की मूर्ति या चित्र इस प्रकार रखें कि उनका मुख दक्षिण दिशा की और हो .
किसी भी सत्कर्म के प्रारम्भ में संकल्प करना आवश्यक है .यदि किसी अन्य से अनुष्ठान करा रहे हों तो पूजास्थल में दोनों अलग अलग आसनो पर बैठ जाएँ .आप स्वयं अनुष्ठान नहीं कर रहे हैं तो दाएं हाथ में जल पुष्प अक्षत लेकर निम्न संकल्प पढ़ें ---हं हनुमते नमः ,हं हनुमते नमः ,हं हनुमते नमः भारतवर्ष के (अमुक )राज्य के (अमुक)नगर /ग्राम में विक्रम सम्वत २०७६ के (अमुक मास) में शुक्ल /कृष्ण पक्ष की (अमुक) तिथि के (अमुक)वार को मैं --(गोत्र का नाम)गोत्रीय --(अपना नाम लें )--आत्मज(पिता का नाम लें )--हनुमान चालीसा के १०८ पाठों के अनुष्ठान को स्वयं करने में असमर्थ होने सेअपनी मनोकामना (कामना व्यक्त करें)की सिद्धि
के लिए इस अनुष्ठान को श्री ---आत्मज श्री ---के द्वारा संपन्न कराने का संकल्प लेता हूँ . (जल भूमि में छोड़ दें )
अब अनुष्ठान करने वाला यजमान की और से दाएं हाथ में जल पुष्प अक्षत लेकर संकल्प ले --
हं हनुमते नमः ,हं हनुमते नमः ,हं हनुमते नमः भारतवर्ष के (अमुक )राज्य के (अमुक)नगर /ग्राम में विक्रम सम्वत २०७६ के (अमुक मास) में शुक्ल /कृष्ण पक्ष की (अमुक) तिथि के (अमुक)वार को मैं --(गोत्र का नाम)गोत्रीय --(अपना नाम लें )--आत्मज(पिता का नाम लें )--हनुमान चालीसा के १०८ पाठों के अनुष्ठान श्री --
आत्मज श्री ----के लिए करने का संकल्प लेता हूँ . उनकी मनोकामना की पूर्ति के लिए इस अनुष्ठान का फल उन्हें प्राप्त हो ,मुझे नहीं .
(स्वयं अनुष्ठान कर रहे हों तो पहले वाले संकल्प में यह वाक्य " स्वयं करने में असमर्थ होने सेअपनी मनोकामना (कामना व्यक्त करें)की सिद्धि
के लिए इस अनुष्ठान को श्री ---आत्मज श्री ---के द्वारा संपन्न कराने"न बोलकर
"अपनी मनोकामना (कामना व्यक्त करें)की सिद्धि के लिए कर रहा हूँ "कहें .)
अब विधिपूर्वक पूजा प्रारम्भ करें .संध्या वंदन करने वाले पाठकों को मालूम है कि
"ॐ केशवाय नमः ","ॐ नारायणाय नमः ","ॐ माधवाय नमः "इन मन्त्रों से ३ बार आचमन कर "ॐ हृषीकेशाय नमः "बोलकर हाथ धोया जाता है .इसी तर्ज पर इस तरह सर्वप्रथम आचमन करें--
(बाएं हाथ में चम्मच लेकर कटोरी से जल लें और दायीं हथेली में डालें और तीन बार आचमन करें याने जल को पी लें )
"ॐ बं बजरंगाय नमः "कहकर पहला आचमन करें ( हथेली के जल को पी लें ).
पुनः दायीं हथेली में जल लें "ॐ मं महावीराय नमः "कहकर दूसरा आचमन करें .
पुनः जल लें और "ॐ हं हनुमतये नमः"कहकर तीसरी बार आचमन करें .
आचमन के बाद अंगूठे के मूल भाग से होठों को दो बार पोंछ कर "ॐ रां रामाय
नमः "बोलकर हाथ धो लें .
क्रमश :----
(2)
ReplyDeleteअब प्राणायाम करें .प्राणायाम के तीन भेद हैं --पूरक,कुम्भक और रेचक .दाएं अंगूठे से नाक के दाहिने छिद्र को दबाकर बाएं छिद्र से श्वास को धीरे धीरे खींचने को पूरक प्राणायाम कहते हैं .जब सांस खींचना रुक जाय ,तब अनामिका और कनिष्ठिका अंगुली से नाक के बाएं छिद्र को भी दबा दें ,यह कुम्भक प्राणायाम हुआ .अंगूठे को हटाकर दाहिने छिद्र से श्वास को धीरे धीरे छोड़ने को रेचक प्राणायाम कहते हैं .पांच बार ये प्राणायाम करें .हर बार पूरक रेचक कुम्भक करते समय मन ही मन "ॐ रां रामाय नमः "बोलें .
अब आप पूजापाठ प्रारम्भ करें .सर्वप्रथम गुरु वन्दना कर उनसे अनुमति प्राप्त करें .सच्चे समर्थ गुरु की खोज में साधक लगा रहे तो बहुत सा समय व्यर्थ ही नष्ट हो जाता है .अतः शास्त्रों में कुछ विकल्प भी रखे गए हैं .आप मन्त्रों के स्रष्टा ,शिवजी को गुरु मानकर "ॐ नमः शिवाय "जपते हुए उनसे पाठ प्रारम्भ करने की अनुमति लें ,पद्मासन या स्वस्तिकासन में बैठें .विघ्नविनाशक गणेशजी को प्रणाम करें .
हनुमानजी और राम पंचायतन के सभी देवों की पूजा करें .नारद पुराण के अनुसार
श्रीराम सम्बन्धी समस्त मन्त्रों में "रां रामाय नमः "यह षडक्षर मंत्र अत्यंत श्रेष्ठ है .इस मंत्र से श्रीराम की ,"श्री सीतायै स्वाहा "(षडक्षर जानकी मन्त्र )से सीताजी की ,"लं लक्ष्मणाय नमः "से लक्ष्मणजी की ,"भं भरताय नमः "से भरतजी की "शं शत्रुघ्नाय नमः "से शत्रुघ्नजी की पंचोपचार (गंध,पुष्प,धूप,दीप,नैवेद्य )पूजा करें .
हनुमानजी का निम्न श्लोक पढ़कर आवाहन करें --
अतुलित बलधामं हेम शैलाभ देहं,दनुज वन कृशानुं ज्ञानिनां अग्र गण्यं
सकल गुणनिधानं वानराणामधीशं ,रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि .
हनुमानजी की पंचोपचार से पूजन करें .
हनुमान चालीसा का १०८ पाठ करें .
पाठ समाप्ति के बाद खड़े होकर आरती करें --ॐ जय जगदीश हरे -----
(आरती में परिवार के सभी सदस्य शामिल हो सकते हैं )
ॐ राम रामाय नमः स्वाहा /हंहनुमते नमः स्वाहा से १०८ आहुति देकर हवन कर लें .
क्षमा याचना करें -हे प्रभु,मंत्रहीन क्रियाहीन मेरे द्वारा किये गए इस अनुष्ठान में हुई
त्रुटियों के लिए मुझे क्षमा प्रदान करें .
If there is no flowing waterwhere I live what do I do ?
ReplyDelete